लेखनी प्रतियोगिता -15-Jul-2022 दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी
लेखिका-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक - दुर्गाबाई देशमुख की जीवनी
दुर्गाबाई की जीवनी हम सुनाते,
था जीवन में संघर्ष यह हम बताते ।
स्कूल में था जाना वर्जित,
दुर्गाबाई को शिक्षा करनी थी अर्जित।
घर पर आए गुरुवर,
दुर्गाबाई को दिया हिंदी शिक्षण।
दुर्गाबाई ने हिंदी में की योग्यता अर्जित,
1923 में बालिकाओं के लिए किया विद्यालय आरंभ।
गांधीजी हुए प्रसन्न,
दुर्गाबाई को सम्मानित किया स्वर्ण पदक।
दुर्गाबाई ने स्वतंत्रता संग्राम में दी भूमिका,
नमक सत्याग्रह में लिया भाग,
'नेता टी 'प्रकाशन के साथ किया काम।
दुर्गाबाई को मिले कष्ट,
25 मई 1930 को हुई सजा 1 वर्ष की,
फिर भी नहीं छोड़ा अपना प्रयत्न।
फिर दिया आंदोलन में योगदान,
दोबारा 3 वर्ष के लिए हो गई गिरफ्तार,
फिर भी नहीं मानी हार।
इस अंतराल में अपनी अंग्रेजी भाषा का ज्ञान बढ़ाया,
उन्होंने अपने काम को हमेशा बढ़ावा।
दुर्गा बाई थी मेधावी छात्रा,
m.a. की परीक्षा में 5 पदक से है नवाजा।
1942 में ली वकालत की डिग्रियां,
वकील के रूप में बनाई अपनी पहचानता।
वकालत में कि उन्होंने पहल,
कत्ल के मुकदमे में की इन्होंने बहस।
भारत की बन गई पहली महिला वकील।।
1946 में लोकसभा और संविधान परिषद की बनी सदस्य,
महिलाओं के उत्थान में दिया योगदान।
थी वो निडर स्वतंत्रता सेनानी लेडी,
दे रही है प्रियंका उन्हें सलामी,
भारत की बनी वो आयरन लेडी।
योजना आयोग का हुआ प्रकाशन,
भारत में समाज सेवा का विश्वकोश कहलाया,
दुर्गा बाई के हाथों में था देखरेख का भार।
देश के हित में रहा हमेशा दुर्गाबाई का योगदान,
देश के लिए निभाई अपनी महत्वपूर्ण स्थान।
9 मई 1981 में दुर्गाबाई का हुआ देहांत,
छोड़ गई अपनी स्मृतियों का जहान,
इनकी प्रेरणा से महिला का हो रहा उत्थान।
दुर्गाबाई देशमुख के जन्मदिन पर अपनी रचना द्वारा उनकी यादों को समर्पित
नंदिता राय
16-Jul-2022 10:19 PM
शानदार
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Punam verma
16-Jul-2022 04:02 PM
Nice
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Abhinav ji
16-Jul-2022 09:33 AM
Very nice👍
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